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पूर्व गवर्नर रघुराम राजन : आलोचकों के विचारों और राय पर हमला करना चाहिए, इरादों पर नहीं

नई दिल्ली. आरबीआई (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बोला है कि आलोचकों के विचारों और राय पर धावा करना चाहिए, इरादों पर नहीं. उन्होंने बोला है कि हिंदुस्तान की प्रगति के लिए एक सर्वज्ञ विश्व-गुरु की तरह उपदेश देने से अधिक जरूरी सुनना है. राजन को अक्सर उनके बेबाक विचारों के लिए ट्रोल किया जाता रहा है. राजन ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी की हिंदुस्तान जोड़ो यात्रा से स्वयं के जुड़ने का बचाव करते हुए बोला कि वह राष्ट्रीय एकता और प्यार के विचारों में दृढ़ता से विश्वास करते हैं, न कि नफरत के. उनका मानना है कि 135 दिनों का पैदल मार्च इस बात को साफ करने का एक कोशिश था. पीएम नरेन्द्र मोदी को विरासत में मिली अर्थव्यवस्था की कुछ गड़बड़ियों के लिए उत्तरदायी होने के गवर्नमेंट समर्थकों के इल्जाम को बहुत हास्यास्पद बताते हुए उन्होंने बोला कि उन्होंने मुद्रास्फीति को दो अंकों से नीचे ला दिया और खराब ऋण को साफ कर दिया है, जिसका श्रेय अब गवर्नमेंट ले रही है. वह अपने उस बयान पर भी कायम रहे कि यदि हिंदुस्तान चालू वित्त साल 2023-24 में पांच फीसदी की वृद्धि हासिल करता है तो वह भाग्यशाली होगा. राजन अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ बिजनेस विद्यालय में प्रोफेसर हैं. वे अपनी नयी पुस्तक ब्रेकिंग द मोल्ड: रीइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर के बारे में बात करने के लिए हिंदुस्तान में थे. यह पुस्तक उन्होंने और पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर रोहित लांबा ने मिलकर लिखी है.

राजन ने कहा, आप किसी प्रतिद्वंद्वी की मंशा पर प्रश्न उठाकर उसे निशाना नहीं बना सकते हैं. उनके विचारों पर धावा करें. उनके इरादों पर प्रश्न मत उठाइए. यह मत कहो कि अमुक आदमी राष्ट्रविरोधी है. राजन के मुताबिक, हिंदुस्तान की प्रगति पर बहस करना केवल बैठकर यह कहने से कहीं अधिक जरूरी है कि मैं सब जानता हूं, मैं विश्व गुरु हूं. उन्होंने बोला कि वह राष्ट्रीय एकता, समावेशन, सार्वजनिक जीवन में शालीनता, प्यार के विचारों में बहुत दृढ़ता से विश्वास करते हैं. उन्होंने कहा, मैंने सोचा कि हिंदुस्तान जोड़ो यात्रा उस बात को समझाने का एक कोशिश था. इसलिए मैंने सोचा कि हिंदुस्तान के उस विचार का समर्थन करना जरूरी है, जिसके साथ मेरे माता-पिता बड़े हुए थे. राजन ने इस बात पर बल दिया कि वंचित समुदायों, स्त्रियों को हिंदुस्तान के विकास और वृद्धि की प्रक्रिया में अधिक शामिल करना होगा.

पिछले वर्ष के अपने बयान पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए राजन ने कहा, मैं एकदम ठीक था. हम भाग्यशाली थे… दुनिया बहुत अधिक मजबूती से बढ़ी. उन्होंने तब बोला था कि यदि हिंदुस्तान 2023 में पांच फीसदी की आर्थिक वृद्धि हासिल करता है तो वह भाग्यशाली होगा. अपने तर्क को पुष्ट करने के लिए उन्होंने बोला कि अमेरिका अपने आर्थिक वृद्धि अनुमान से तीन फीसदी आगे है. हम अब साढ़े छह फीसदी की रेट से बढ़ रहे हैं. यह डेढ़ फीसदी अधिक है. राजन ने बोला कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था को तेज गति से बढ़ते हुए देखकर बहुत खुश हैं और चाहते हैं कि इसकी रफ्तार आठ प्रतिशत हो जाए. राजन ने चालू वित्त साल की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तेज बढ़ोतरी का श्रेय बुनियादी ढांचे पर खर्च और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के अच्छे प्रदर्शन को दिया. हालांकि, उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान को अभी बहुत कुछ करना है और 2025 के लिए पांच लाख करोड़ $ की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य लगभग असंभव है. राजन ने आगे बोला कि हिंदुस्तान की वृद्धि रेट मजबूत होने के बावजूद निजी निवेश और निजी खपत में तेजी नहीं आई है. उन्होंने बोला कि पिछले चार सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था प्रति साल लगभग चार फीसदी की रेट से बढ़ी है. राजन ने कहा, यह हमारी वृद्धि क्षमता (आर्थिक वृद्धि दर) छह फीसदी से काफी कम है. उन्होंने कहा, तो आपने बोला कि मुद्रास्फीति नियंत्रित है. मुद्रास्फीति नियंत्रित होने का एक कारण यह है कि हम अपनी संभावित रेट से भी नहीं बढ़े हैं.

 



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