2024 में वित्त मंत्री बजट टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स दे सकता है राहत
Budget 2024: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली है। लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले इस बजट में बड़ी राहत की उम्मीदें कम है। आयकर स्लैब में परिवर्तन या फिर टैक्स में छूट की उम्मीदें भी काफी कम है, हालांकि टैक्स फाइलिंग को सरल किया जा सकता है। बीते दो-तीन वर्षों में गवर्नमेंट ने टैक्स फाइलिंग को सरल बनाने के लिए काफी कोशिशें की है। फ्री फाइलिंग रिटर्न, AIS, TIS और 26AS फार्म के जरिए टैक्स फाइलिंग को सरल बनाने की प्रयास की गई है। बताया जा रहा है कि अंतरिम बजट में वित्त मंत्री का फोकस टैक्स बचत, टैक्स छूट के बजाए टैक्स फाइलिंग को सरल बनाने पर होगा। भिन्न-भिन्न फोरम की ओर से इसे लेकर वित्त मंत्रालय को निवेदन भेजे गए हैं। लोगों को उम्मीदें है कि वित्त मंत्री टैक्स को आसान, टैक्स कंप्लायंस को सरल और चैप्टर VIA के अनुसार कुछ चुनिंदा राहतों और टीडीएस से संबंधित प्रावधानों की समीक्षा कर इसे सरल बना सकती हैं।
टैक्स को सरल बनाने पर जोर
न्यू टैक्स रिजीम ओल्ड टैक्स रिजीम के मुकाबले सरल और सिंपल है। वहीं टैक्स पे करने वाले अधिकतर लोगों को आशा है कि वित्त मंत्री अंतरिम बजट में कुछ ऐसे घोषणा करें, ताकि रेगुलर टैक्स रिजीम को भी फाइनेंशियल तौर पर सरल और टैक्स राहत देने वाला बनाया जा सके। टैक्स स्लैब का विस्तार, टैक्स रेट्स में कटौती कर नए टैक्स रिजीम को सुन्दर बनाया जाए, ताकि अधिक टैक्सपेयर्स इस रिजीम में शामिल हो सकें।
इनकम टैक्स में छूट का आसार कम है, लेकिन लोकसभा चुनावों को देखते हुए आशा की जा रही है कि गवर्नमेंट टैक्सपेयर्स के लिए नयी आयकर रिजीम को लोकप्रिय बनाने के लिए कुछ राहत की घोषणा कर सकती है। टैक्स छूट , स्टैंडर्स डिडक्शन, 80C, 80D के अनुसार टैक्स छूट न मिलने के चलते टैक्स पेयर्स इस रिजीम को चुनने से कतरा रहे हैं। कुल टैक्स पेयर्स में 10 प्रतिशत से भी कम लोगों ने नए टैक्स रिजीम को चुना है। इसमें लोगों को बचत या निवेश पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलता।
इस टैक्स रिजीम को लोकप्रिय बनाने के लिए बीते वर्ष टैक्सधारकों को राहत देते हुए 7 लाख तक की आमदनी को टैक्स स्लैब से बाहर रखा था। वित्त मंत्री ने न्यू टैक्स रिजीम से लोगों को जोड़ने की प्रयास की। कैपिटल गेन पर टैक्स को सरल और तर्कसंगत बनाने की सिफारिश की गई है। वर्तमान में इसमें कई दिक्कतें हैं, जो एक आम करदाता के लिए टैक्स फाइलिंग को कठिन बनाता है। इसके अतिरिक्त चैप्टर VIA के रिव्यू की आवश्यकता है। मेडिकल कॉस्ट को देखते हुए सेक्शन 80D के अनुसार डिडक्शन को बढ़ाने की आवश्यकता है। ऐसा करने के टैक्सपेयर्स के ऊपर से फाइनेंशियल बोझ कम हो सकेगा।