E-Rickshaw Registration पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जानिये क्या है मामला

पूरे देश में जहां एक तरफ सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर एक काफी चौंकाने वाली बात सामने आई है। दरअसल, देश की उच्चतम न्यायालय ने नए ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने का फैसला सुनाया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारत में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन बंद करने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि अब कोई भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ई-रिक्शा का पंजीकरण नहीं करवा पाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली सरकार जिसने 4 फरवरी को 'स्विच दिल्ली कैंपेन' चलाया था, अब ई-रिक्शे के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने की बात कह रही है।
हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदेश वासियों से 'स्विच दिल्ली कैंपेन' के तहत इलेक्ट्रिक वाहन की तरफ स्विच करने की अपील की थी। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने ये भी ऐलान किया था कि, वह इलेक्ट्रिक व्हीकल में कंवर्ट करने के लिए लोगों को सभी प्रकार के ईवी पर सब्सिडी देगी। इसके साथ ही राजधानी में हर 3 किलोमीटर पर एक ईवी चार्जिंग पॉइंट लगाने की बात भी कही थी। केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली सरकार का प्रयास है कि प्रदेश में 100 चार्जिंग स्टेशन जल्द से जल्द लगाए जाएं जिसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई हैं।
ई-रिक्शा पर क्या है मामला: दरअसल कोलकाता के एक वकील कनिष्क सिन्हा के मुताबिक पिछले 20 सालों से वो पूरे भारत में ई-रिक्शा का पंजीकरण कराने वाले पेटेंटी यानी लाइसेंस धारक हैं। उनका यह भी दावा है कि वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो हिन्दुस्तान में इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण करवा सकते हैं। इस वकील के मुताबिक, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पास अपने प्रांत में बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहन को डायरेक्ट रजिस्टर्ड कराने का अधिकार नहीं है। वकील सिन्हा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में इलेक्ट्रिक रिक्शा खरीदने वाले हर ग्राहकों को अमित इंजीनियरिंग सर्विस के द्वारा अपनी ई-रिक्शा को रजिस्टर्ड करवाना होगा।
इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी भी राज्य के ट्रांसपोर्ट ऑफिस को इलेक्ट्रिक रिक्शा को रजिस्टर्ड करवाने का अधिकार नहीं है। उच्च न्यायालय के मुताबिक अगर राज्य सरकार या कोई केंद्र शासित प्रदेश इलेक्ट्रिक रिक्शा को रजिस्टर्ड करवाती है तो इन्हें पूरी तरह से गैरकानूनी माना जाएगा। बता दें कि अदालत ने 24 फरवरी, 2020 को भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए कहा था और इसे सर्वोच्च न्यायालय ने 12 जनवरी, 2021 को बरकरार रखा था। दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन को रोक देगी जबकि जम्मू और कश्मीर सरकार पहले ही इसे रोक चुकी है। अन्य राज्यों को आदेश का पालन करना बाकी है।