FASTags की जगह GPS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली लाने का हुआ फैसला
हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली के लिए FASTags की स्थान GPS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली लाने का निर्णय किया है। यह परिवर्तन 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, अप्रैल 2024 में हो सकता है। नयी प्रणाली टोल प्लाजा को हटा देगी और वाहनों को रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे टोल वसूली अधिक कुशल और सुविधाजनक हो जाएगी।
ऐसे कार्य करेगी ये प्रणाली
यह प्रणाली स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) तकनीक का इस्तेमाल करेगी। राजमार्गों पर स्थापित कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे और उन्हें एक डेटाबेस से जोड़ेंगे। यह डेटाबेस गाड़ी के मालिक के बैंक खाते से जुड़ा होगा। गाड़ी द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर, टोल शुल्क स्वचालित रूप से बैंक खाते से काट लिया जाएगा।
GPS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली FASTags से कई मायनों में बेहतर होगी
GPS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली FASTags से कई मायनों में बेहतर होगी। यह प्रणाली अधिक कुशल होगी और टोल प्लाजा पर लंबी कतारों को समाप्त करेगी। यह अधिक सुविधाजनक भी होगा क्योंकि वाहनों को रुकने की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा, यह प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी और टोल चोरी को रोकने में सहायता करेगी।
GPS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली के कुछ फायदे:
- टोल प्लाजा को हटाकर टोल वसूली को अधिक कुशल बनाना।
- वाहनों को रुकने की जरूरत को समाप्त करके यात्रा के समय को कम करना।
- टोल चोरी को रोकने में सहायता करना।
- टोल वसूली प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना।
GPS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली हिंदुस्तान में टोल वसूली का एक नया युग प्रारम्भ करेगी
GPS-आधारित टोल संग्रह प्रणाली हिंदुस्तान में टोल वसूली का एक नया युग प्रारम्भ करेगी। यह प्रणाली अधिक कुशल, सुविधाजनक और पारदर्शी होगी। यह प्रणाली टोल प्लाजा को हटा देगी और वाहनों को रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे यात्रा का समय कम होगा और टोल चोरी को रोका जा सकेगा।