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सब्सिडी में कटौती के चलते ई-स्कूटरों की कीमत बढ़ जाएगी इतने रुपये तक

इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की मांग इन दिनों तेजी से बढ़ रही है. यही वजह है कि पेट्रोल वाहनों की तुलना में ई-दोपहिया गाड़ी महंगे भी हैं. अब इन वाहनों पर सब्सिडी में कटौती से वर्ष में दूसरी बार कीमतों में 12,000 रुपये तक बढ़ोत्तरी होने की आसार है. क्या सब्सिडी में की जा रही कटौती इस उद्योग के विकास को कमजोर कर देगी, जबकि पहले से ही यह उद्योग कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहा है. सब्सिडी कटौती से इस उद्योग के विकास पर क्या असर पड़ेगा इस बारे में मिंट ने विस्तार से कहा है.

सब्सिडी घटाने की वजह

भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा मार्च में अप्रैल से जुलाई 2024 तक चार महीने की अवधि के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन योजना की घोषणा की गई थी. यह फेम-2 के बीच एक सेतु योजना के रूप में कार्य करती है, जो 31 मार्च 2024 को खत्म हो गई. इस योजना के तहत, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए सब्सिडी ₹10,000 रुपये प्रति किलोवाट घंटा (केडब्ल्यूएय) से आधी कर 15,000 रुपये प्रति किलोवाट कर दी गई है. प्रति गाड़ी अधिकतम सब्सिडी भी केवल 10,000 रुपये तय की गई है.

तीसरी बार संशोधन

2019 में फेम-2 योजना की घोषणा के बाद से, यह तीसरी बार है, जब इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर सब्सिडी को संशोधित किया गया है. पांच सालों के लिए ₹10,000 करोड़ के आवंटन के साथ घोषित मूल योजना में प्रति किलोवाट 10,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई थी, जिसे गाड़ी की पूर्व-फैक्टरी मूल्य के 20% तक सीमित किया गया था.

जून 2021 में इसे बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति किलोवाट कर दिया गया और गाड़ी की लागत की सीमा भी बढ़ाकर 40% कर दी गई. पिछले वर्ष जून में गवर्नमेंट ने सब्सिडी को वापस मूल स्तर पर ला दिया था. अब इस नयी योजना के कारण सब्सिडी 2019 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर है.

कीमत पर होगा असर

सब्सिडी में कटौती से इलेक्ट्रिक स्कूटरों की मूल्य ₹5,000 से 12,000 रुपये तक बढ़ जाएगी, हालांकि निर्माता इसमें से कुछ खर्च स्वयं वहन करने का फैसला ले सकते हैं. उदाहरण के लिए, ओला एसआई प्रो पर सब्सिडी अब 22,268 रुपये से घटकर फ्लैट 10,000 रुपये हो गई है. पिछले वर्ष जून तक इस स्कूटर पर लगभग 60,000 रुपये की सब्सिडी मिली थी. अभी ओला ने स्कूटर की मूल्य नहीं बढ़ाने का निर्णय किया है.

ऐसे बढ़ी बिक्री

फेम-2 के अनुसार प्रोत्साहन से प्रेरित होकर, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री 2018-19 में प्रति साल 20,000 इकाइयों से बढ़कर 2023-24 में 9,10,000 से अधिक हो गई है. हालांकि विकास की गति पिछले वित्त साल में 2022-23 में 65% से घटकर 20% हो गई. यह आंशिक रूप से पिछले वर्ष सब्सिडी में कटौती के कारण हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप जून और सितंबर के बीच कम से कम चार महीनों के लिए बिक्री में भारी गिरावट आई. ऐसी ही स्थिति इस वर्ष भी रहने के आसार हैं क्योंकि जुलाई में बजट में नयी नीति की घोषणा होने तक बिक्री कम रह सकती है.

उम्मीद से कम रफ्तार

इलेक्ट्रिक दोपहिया गाड़ी उद्योग उतनी तेजी से नहीं बढ़ पा रहा है, जितनी कि आशा की गई थी. हालांकि इस उद्योग से जुड़ी कंपनियां निकट भविष्य में गैर-सब्सिडी वाली प्रबंध की तैयारी कर रही हैं. उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया गाड़ी अपने पेट्रोल समकक्षों की तुलना में अधिक महंगे हैं. हालांकि कंपनियां अब ई-दोपहिया वाहनों को सस्ता करने की दिशा में काम कर रही हैं.

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