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भारत के इन सामानों के एक्सपोर्ट के लगातार गिरता जा रहा कारोबार

बिज़नस न्यूज़ डेस्क, भारत दुनिया में अपने मसालों से जाना जाता है प्राचीन काल से ही यहां के गर्म मसालों ने पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना रखा है. मसालों के निर्यात में हिंदुस्तान अभी भी विश्व में अग्रणी है, लेकिन हांगकांग और सिंगापुर से निकली ‘प्रतिबंध’ की चिंगारी अब यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच गई है. वैसे यह स्थिति केवल मसालों की ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान से निर्यात होने वाले कई अन्य सामानों की भी है. आइए इसे भी समझें…भारत अभी भी एक विकासशील राष्ट्र है, जो विकसित बनने के लिए तरस रहा है.

यदि हिंदुस्तान को विकसित देश की श्रेणी में शामिल होना है तो उसे अपने निर्यात क्षेत्र पर बहुत अधिक ध्यान देना होगा. आज चीन अपने निर्यात के दम पर ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. हिंदुस्तान गवर्नमेंट लगातार हिंदुस्तान के निर्यात को बढ़ाने की प्रयास कर रही है, लेकिन ‘मसालों पर प्रतिबंध’ जैसी बाधाएं इसकी राह रोकती हैं.देश के 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का मानना है कि यदि हिंदुस्तान को विकसित राष्ट्रों की कतार में शामिल होना है तो उसे अपना निर्यात इतना बढ़ाना होगा कि उसकी आर्थिक विकास रेट 10 प्रतिशत तक पहुंच सके और लंबे समय तक वहीं बनी रहे विकसित हिंदुस्तान बनने की दिशा में वह अवसर भी आएगा जब हम अपने राष्ट्र में बनी वस्तुओं का सीमित इस्तेमाल कर सकेंगे.

जहां हिंदुस्तान अभी अच्छा कारोबार कर रहा है
वैसे इस समय पूरी दुनिया में बिजनेस के हालात खराब हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-हमास संघर्ष और पश्चिम एशिया में संकट के कारण पूरे विश्व में व्यापार प्रभावित हुआ है. इसके बावजूद हिंदुस्तान का निर्यात कारोबार कुछ जगहों पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया और खाड़ी राष्ट्रों के साथ अच्छे द्विपक्षीय संबंधों और मुक्त व्यापार समझौतों के कारण हिंदुस्तान का व्यापार अच्छा चल रहा है. धातु, खनिज, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सभी क्षेत्रों में हिंदुस्तान के निर्यात में वृद्धि देखी गई है. 2023-24 में मोबाइल टेलीफोन निर्यात में हिंदुस्तान की वृद्धि 35 फीसदी है.

जहां हिंदुस्तान को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है
हांगकांग और सिंगापुर ने हिंदुस्तान के दो सबसे लोकप्रिय मसाला ब्रांडों पर उनके कुछ उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड जैसे कीटनाशकों की मौजूदगी के कारण प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद यूरोपीय संघ ने ऐसे भारतीय उत्पादों की पूरी सूची जारी की इतना ही नहीं इसके बाद अमेरिका भी इस पूरी घटना पर नजर रख रहा है, वहीं ऑस्ट्रेलिया ने भी इसकी जांच प्रारम्भ कर दी हैभारत हर वर्ष करीब 700 मिलियन $ का मसाला निर्यात करता है, लेकिन अब इस पूरे कारोबार को झटका लग रहा है ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) जैसे थिंक टैंक का बोलना है कि इस एक घटना ने हिंदुस्तान के पूरे मसाला निर्यात को कटघरे में खड़ा कर दिया है.

हीरे का कारोबार भी जटिल हो गया
भारत के दूसरे सबसे अहम बिजनेस को भी झटका लग रहा है यह है हीरों का निर्यात, इसमें भी हिंदुस्तान विश्व में अग्रणी है. दुनिया में सबसे अधिक हीरे हिंदुस्तान के सूरत शहर में तराशे जाते हैं और इसके बाद यूरोप और अमेरिका बड़े पैमाने पर इनका आयात करते हैं.भारत को इस कारोबार में एक नयी दुविधा का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोप अब छोटे से छोटे हीरों की भी उत्पत्ति का सबूत मांग रहे हैं, जिन पर अब तक छूट थी. अमेरिका और यूरोप ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे जानना चाहते हैं कि ये हीरे मूल रूप से कहां से आए.

दवा-इस्पात कारोबार पर भी संकट
भारत का दवा उद्योग भी ऐसे ही संकट का सामना कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में भारतीय दवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्न उठते रहे हैं कई राष्ट्रों में इल्जाम लगते रहे हैं कि यहां की दवा कंपनियां ठीक मानकों के अनुसार काम नहीं कर रही हैं. हिंदुस्तान में बने कफ सिरप के कारण गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में बच्चों की मृत्यु हो गई और फिर उन दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इससे ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में हिंदुस्तान की छवि को हानि पहुंचा है.

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