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निर्यात के लिए ई-वाणिज्य केंद्र विकसित करना नई सरकार के एजेंडे में हो सकता है शामिल

ऑनलाइन माध्यम से हिंदुस्तान के निर्यात बढ़ाना नयी गवर्नमेंट के एजेंडे में शामिल हो सकता है.  एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इसके लिए वाणिज्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्र भर में ई-वाणिज्य केंद्र विकसित करने का खाका भी तैयार किया जा सकता है.

निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

समाचार एजेंसी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि वाणिज्य मंत्रालय की शाखा विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) पहले से ही आरबीआई (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय सहित संबंधित मंत्रालयों के साथ ई-वाणिज्य माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई कदमों पर काम कर रही है क्योंकि इस क्षेत्र में निर्यात के बड़े अवसर हैं. यह कवायद इसलिए जरूरी है क्योंकि मंत्रालयों को नयी गवर्नमेंट के लिए 100 दिन की योजना तैयार करने को बोला गया है.

लोकसभा चुनाव

भारत में सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल को प्रारम्भ हुए. मतगणना चार जून को होगी. अधिकारी ने बोला कि ये केंद्र ई-वाणिज्य माध्यमों से निर्यात को और बढ़ावा देने में सहायता कर सकते हैं. उद्योग जगत के एक जानकार के अनुसार, ऐसे केंद्र में निर्यात स्वीकृति को सुगम बनाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त इसमें भंडारण सुविधाएं, सीमा शुल्क मंजूरी, रिटर्न प्रोसेसिंग, लेबलिंग, टेस्टिंग और रीपैकेजिंग की भी सुविधा हो सकती है.

भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने समाचार एजेंसी मीडिया से वार्ता करते हुए बोला कि यह ऐसा क्षेत्र होगा जो ई-वाणिज्य कार्गो के निर्यात और आयात को सुविधाजनक बनाएगा और काफी हद तक पुनः आयात की परेशानी का निवारण करेगा क्योंकि ई-वाणिज्य में करीब 25 फीसदी माल पुनः आयात किया जाता है. सीमा पार ई-वाणिज्य व्यापार पिछले साल करीब 800 अरब अमेरिकी $ रहा था. इसके 2030 तक 2000 अरब अमेरिकी $ तक पहुंचने का अनुमान है. विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने हाल ही में बोला था कि ई-वाणिज्य माध्यम से निर्यात बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं.

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