ग्राहक का ऑर्डर कैंसल करना फ्लिपकार्ट को पड़ा भारी, 13 हजार रुपये का लगा जुर्माना
उपभोक्ता टकराव निवारण आयोग ने फ्लिपकार्ट पर कुल 13 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दरअसल, कंपनी को अनुचित व्यापार व्यवहार और मानसिक प्रताड़ित करने का गुनेहगार पाया गया है। कहा जा रहा है कि एक ग्राहक ने आईफोन ऑर्डर किया था, जिसे बाद में कंपनी ने कैंसल कर दिया, इससे शख्स को मानसिक प्रताड़िना झेलनी पड़ी।
मध्य मुंबई के जिला उपभोक्ता टकराव निवारण आयोग ने पिछले महीने आदेश जारी किया था, जिसमें बोला गया था कि फ्लिपकार्ट ने अतिरिक्त फायदा कमाने के लिए ऑर्डर कैंसल किया था, जो सेवा में कमी और औनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा अपनाए गए अनुचित व्यापार व्यवहार के बराबर है। आयोग का विस्तृत आदेश रविवार को मौजूद हुआ। आयोग ने बोला कि हालांकि ग्राहक को उसका पैसा वापस मिल गया था, लेकिन एकतरफा ऑर्डर कैंसल होने की वजह से उसे मानसिक उत्पीड़न के लिए मुआवजा देने की जरुरत है।
दादर का रहने वाला शिकायतकर्ता
शिकायतकर्ता दादर का रहने वाला है। उसने कहा कि उसने 10 जुलाई, 2022 को फ्लिपकार्ट से एक आईफोन ऑर्डर किया, जिसका पेमेंट क्रेडिट कार्ड के जरिए किया था। कुल 39,628 रुपये का भुगतान किया था। 12 जुलाई तक टेलीफोन डिलीवर होना था, लेकिन छह दिन बाद उसे एक मैसेज आया कि ऑर्डर कैंसल कर दिया गया है।
शख्स ने बताया कि जब उसने कंपनी से संपर्क किया तो कहा गया कि डिलीवरी बॉय ने कई बार ऑर्डर देने का कोशिश किया था, लेकिन वह उपलब्ध नहीं था, इसलिए ऑर्डर कैंसल कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने बोला कि ऑर्डर कैंसल होने से केवल हानि नहीं, बल्कि मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी। साथ ही उसे औनलाइन फर्जीवाड़ा का भी सामना करना पड़ा।
शिकायतकर्ता ने फ्लिपकार्ट के डिलीवरी पार्टनर इकार्ट लॉजिस्टिक्स पर भी इल्जाम लगाए। हालांकि, आयोग ने माना कि यह एक डिलीवरी पार्टनर है और शिकायतकर्ता और लॉजिस्टिक्स फर्म के बीच कोई उपभोक्ता और सेवा प्रदाता संबंध नहीं है।
फ्लिपकार्ट ने दिया लिखित जवाब
फ्लिपकार्ट ने लिखित उत्तर दिया कि शिकायतकर्ता ने प्लेटफॉर्म को गलत समझ लिया है। उसने इसे उत्पाद के विक्रेता के रूप में ले लिया है, जबकि यह केवल एक मध्यस्थ औनलाइन प्लेटफॉर्म के रूप में काम करता है। प्लेटफॉर्म पर सभी उत्पादों को तीसरे पक्ष द्वारा बेचा जाती है। कंपनी ने बोला था कि इस मुद्दे में विक्रेता इंटरनेशनल वैल्यू रिटेल प्राइवेट लिमिटेड था और शिकायतकर्ता और विक्रेता के बीच किए गए पूरे लेनदेन में फ्लिपकार्ट की कोई किरदार नहीं थी।
कंपनी ने दावा किया कि उसने विक्रेता को शिकायतकर्ता की कम्पलेन के बारे में जानकारी दी थी। विक्रेता ने कहा था कि डिलीवरी बॉय ने उत्पाद को पते पर पहुंचाने के कई बार कोशिश किए थे, लेकिन शिकायतकर्ता मौजूद नहीं था, इसलिए ऑर्डर कैंसल करना पड़ा। कंपनी ने आगे बोला कि ग्राहक का पैसा वापस कर दिया गया था। टकराव सिर्फ़ शिकायतकर्ता और विक्रेता के बीच है और फ्लिपकार्ट के विरुद्ध कार्रवाई का कोई कारण नहीं है।
आयोग ने यह बोला
हालांकि, आयोग ने बोला कि ऑर्डर को ई-कॉमर्स कंपनी द्वारा कैंसल कर दिया गया था, वह भी तब जब शिकायतकर्ता लगातार उसके संपर्क में था और उसे आश्वासन दिया गया था कि उसकी चिंता पर गौर किया जा रहा है। साथ ही यह भी बोला कि फ्लिपकार्ट ने उसके द्वारा या विक्रेता द्वारा सेवा के कई प्रयासों के बारे में कोई सबूत पेश नहीं किया है, जैसा कि दावा किया गया है।
आयोग ने बोला कि फ्लिपकार्ट ने स्वीकार किया है कि ऑर्डर कैंसल दिया गया था और शिकायतकर्ता को नया ऑर्डर देने के लिए बोला गया था। इससे शिकायतकर्ता का केस मजबूत हो गया। आयोग ने बोला कि जिस सामान का ऑर्डर किया गया था उसकी मूल्य सात हजार रुपये बढ़ गई थी, इसलिए उसे नया ऑर्डर देने के लिए बोला गया।
आयोग ने बोला कि फ्लिपकार्ट ने अतिरिक्त फायदा कमाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया है, जो सेवा में कमी, अनुचित और प्रतिबंधात्मक व्यापार नियमों को अपनाने के बराबर है। आगे बोला गया कि हालांकि शिकायतकर्ता को रिफंड मिल गया है, लेकिन उसे मानसिक प्रताड़ना लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए जो फ्लिपकार्ट के ऑर्डर कैंसल करने से उसे हुई।
आयोग ने फ्लिपकार्ट को शिकायतकर्ता को हुई मानसिक प्रताड़ना के लिए मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये और लागत के रूप में 3,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।