बिहार

वोटिंग कराकर नीतीश हुए टेंशन फ्री

Bihar Floor Test: बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने एक बार फिर फ्लोर टेस्ट जीत लिया है नीतीश कुमार को बहुमत साबित करने में जरा भी परेशानी नहीं हुई उनके पक्ष में कुल 129 वोट पड़े वोटिंग से पहले विपक्ष ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया जिसके बाद नीतीश कुमार चाहते तो ध्वनिमत से विश्वास प्रस्ताव पर बहुमत साबित कर सकते थे लेकिन उन्होंने यह रास्ता नहीं चुना उन्होंने वोटिंग कराई और फ्लोर टेस्ट जीता आइये जानने की प्रयास करते हैं नीतीश कुमार ने वोटिंग से फ्लोर टेस्ट जीतने की राह क्यों चुनी?

नीतीश ने ध्वनिमत से क्यों किया किनारा?

फ्लोर टेस्ट जीतने के लिए नीतीश के वोटिंग के निर्णय के बारे में जानने के लिए ध्वनिमत को जानना महत्वपूर्ण है ध्वनिमत विधानसभा, राज्यसभा और लोकसभा की वह प्रक्रिया जिसके आधार पर बिल, विधेयक या गवर्नमेंट पर मुहर लगती है बिहार फ्लोर टेस्ट में भी सदन के उपाध्यक्ष ने ध्वनिमत का ऑप्शन दिया था लेकिन नीतीश ने इससे साफ इनकार कर दिया उन्होंने वोटिंग कराने के लिए कहा

 

नीतीश ने वोटिंग कराने के लिए इसलिए बोला क्योंकि ध्वनिमत पर हमेशा से प्रश्न खड़े होते आए हैं इसका एक हानि यह भी है कि विपक्ष इसे चैलेंज कर कभी भी अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है लेकिन विभाजन की प्रक्रिया यानी वोटिंग कराकर फ्लोर टेस्ट जीतना रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है जिसे चैलेंज करना सरल नहीं होता  नियम कहता है कि वोटिंग प्रक्रिया से जीते फ्लोर टेस्ट को 6 महीने तक चैलेंज नहीं किया जा सकता यानी 6 महीने तक विपक्ष यदि बाधा भी डालना चाहेगा तो नीतीश कुमार गवर्नमेंट चलाते रहेंगे

एनडीए के पक्ष में पड़े 129 वोट

बिहार फ्लोर टेस्ट की बात करें तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए गवर्नमेंट ने सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया गवर्नमेंट के पक्ष में 129 वोट पड़े, वहीं विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं बिहार में राजद को सोमवार को उस समय झटका लगा, जब उसके तीन सदस्य बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों के पास जाकर बैठ गए

तेजस्वी यादव ने खड़े किए सवाल

राजद नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी विधायकों चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रह्लाद यादव के एनडीए में जाने पर विरोध जताई और प्रबंध पर प्रश्न खड़े किए सदन में उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने तेजस्वी के प्रश्न पर कोई निर्णय नहीं सुनाया

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