Jitiya Vrat 2023:इस व्रत में महिलाओं को एक दिन पहले से नहीं करना चाहिए तामसिक भोजन का सेवन
जितिया व्रत नहाय खाय से प्रारम्भ होकर सप्तमी, अष्टमी और नवमी को समाप्ति किया जाता है। 5 अक्टूबर को नहाए खाए और 6 अक्टूबर को सुबह से महिलाएं निर्जला जितिया व्रत रखेंगी। 7 अक्टूबर को व्रत का समाप्ति कर पारण करेंगे।
कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो पहली बार जितिया का निर्जला व्रत रखेंगी। उन्हें यह मुश्किल व्रत अधिक मुश्किल लग सकता है। ऐसे में स्वस्थ रहते हुए आप बिना किसी कठिनाई में पड़े उपवास कर सकती हैं। आप जितिया पर्व से पहले सरगही में नारियल का पानी, केला, छेना रसगुल्ला, दही गुड़ खाकर अगले दिन की भूख-प्यास पर नियंत्रण कर सकते हैं। व्रत खोलते समय खट्टे फलों के सेवन से बचें, ऐसा नहीं करने से उलटी हो सकती है।व्रत खोलने से पहले चाय या कॉफी का सेवन ना करें, ऐसे में एसिडिटी हो सकती है।
इस व्रत में स्त्रियों को एक दिन पहले से तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहार का सेवन नहीं करना होता है। कहीं – कहीं नहाय खाए के दिन मछली खाने की भी परंपरा है। जो महिलाएं जितिया व्रत रखती हैं, वें एक दिन पहले कांदा की सब्जी, नौनी का साग ,मड़ुआ की रोटी खाती है | इसके बाद अष्टमी तिथि को उपवास करती हैं।
जीवित्पुत्रिका व्रत बिहार, यूपी , बंगाल और झारखंड राज्य में मुख्य रूप से रखा जाता है। इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रखकर संतान की सलामती की कामना करती हैं। महिलाएं जिउतिया भी गुथवाती हैं | मध्यम और उच्च वर्ग की आर्थिक रूप से संपन्न अधिकांश महिलाएं सोने अथवा चांदी की जिउतिया बनवाती हैं | पूजन सामग्रियों के साथ अनरसा, पेड़ाकड़ी, गोलवा साग, मडुआ का आटा, कुशी केराव, झिंगी इस व्रत से जुड़े अहम सामान हैं
संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए किए जाने वाले जितिया व्रत वाले दिन में जिउतिया वाली लॉकेट बहुत अधिक महत्व रखती है। इस दिन महिलाएं लाल या पीले रंग की धागा अपने गले में धारण करती हैं जिसमें एक धागा साधारण ढंग का होता है। इसमें तीन स्थान गांठे लगी रहती हैं। इसकी गांठे सामान्य होती है। वहीं कई महिलाएं अपने सामर्थ्य मुताबिक सोने के लॉकेट में भी जिउतिया बनवा कर धारण करती हैं।
इस व्रत में ईश्वर जीमूतवाहन, गाय के गोबर से चील-सियारिन की पूजा का विधान है। जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत गाड़ी की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में महत्वपूर्ण है।
मान्यता के मुताबिक जितिया व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। एक बार उपवास रखने पर हर साल व्रत रखना जरूरी होता है। जीवित्पुत्रिका व्रत में निर्जला उपवास होता है, इसलिए जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें।इस दौरान मन को शांत रखना चाहिए और किसी से भी लड़ाई-झगड़ा नहीं करनी चाहिए। व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।