बिहार

Jamui Lok Sabha Seat: अरुण भारती होंगे जमुई लोकसभा सीट से NDA उम्मीदवार, चिराग पासवान ने दिया सिंबल

Jamui Lok Sabha Seat : राष्ट्र में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक जमीन बिछ गई है. आम आदमी के साथ सियासी दलों की निगाहें हॉट सीटों पर टिकी हैं. हॉट सीटों में शुमार बिहार की जमुई सीट दो बार विलुप्त हो चुकी है. इस सीट पर कभी कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहता था, लेकिन अब एनडीए का गढ़ है. आइए जानते हैं कि जमुई सीट का क्या है चुनावी समीकरण?

35 वर्ष तक विलुप्त रहा जमुई

बिहार की अन्य लोकसभा सीटों से जमुई सीट बिल्कुल अलग है. 1952 के बाद दो बार यह सीट अपना अस्तित्व खो चुकी है. 1957 में पहली बार जमुई सीट विलुप्त हुई थी. इसके बाद फिर 1962 में अस्तित्व आई, लेकिन वर्ष 1977 में परिसीमन में फिर यह सीट समाप्त हो गई थी. करीब 30 वर्ष के बाद फिर जुमई सीट 2009 में अस्तित्व में आई. आजादी से लेकर अबतक 35 वर्ष तक जमुई विलुप्त रहा था. अबतक इस सीट से आठ सांसद चुने गए हैं.

2009 से एनडीए का रहा दबदबा

अनुसूचित जाति के लिए जमुई सीट आरक्षित है. परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में अस्तित्व में आई जमुई सीट पर एनडीए का दबदबा रहा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के अनुसार जेडीयू के प्रत्याशी भूदेव चौधरी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. इसके बाद 2014 के चुनाव में एनडीए से जेडीयू अलग हो गई. इस पर एनडीए ने लोजपा (राम विलास पासवान) को यह सीट दे दी. इस पर विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने दो बार 2014 और 2019 में जमुई सीट से रिकॉर्ड जीत हासिल की. इस बार भी एनडीए गठबंधन के अनुसार ये सीट चिराग पासवास के पाले में आई है.

जमुई से चिराग पासवान के जीजा लड़ेंगे चुनाव

लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने जमुई लोकसभा सीट से अरुण भारती को टिकट दिया है. अरुण भारती की विवाह रामविलास पासवान और रीना पासवान की बेटी निशा भारती से हुई है. ऐसे में वो रामविलास के दामाद और चिराग पासवान के जीजा हैं. इस बार चिराग पासवान पिता की परंपरागत सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे. अरुण भारती के परिवार का राजनीति से पुराना नाता है. उनकी मां डाक्टर ज्योति बिहार की कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट में मंत्री रह चुकी हैं. वे दो बार एमएलसी भी रह चुकी हैं.

कौन हैं आरजेडी उम्मीदवार अर्चना रविदास

इंडिया गठबंधन के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने जुमई सीट से उम्मीदवार के नाम का घोषणा कर दिया है. आरजेडी ने अर्चना रविदास को चुनावी मैदान में उतारा है. राजद नेता मुकेश यादव की पत्नी अर्चना रविदास हैं. राजद की ओर से उनके पति भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन वे हार गए थे. अर्चना मूलरूप से जमुई की रहने वाली हैं. उनका अब चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती से सीधा मुकाबला होगा.

जानें क्या है जातीय समीकरण

जमुई वर्ष 1991 में जनपद बना था. झारखंड की सीमा से यह जिला सटा हुआ है. यदि मतदाता की बात करें तो यहां मुसलमान और यादव वोटरों की संख्या अच्छी खासी है. एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सीट पर 3 लाख यादव वोटर हैं. साथ ही दलील और महादलित वोटर भी बड़ी संख्या में हैं. सियासी पार्टियों का विशेष फोकस दलित और महादलित वोटरों पर रहता है. हालांकि, किसी भी उम्मीदवारों की जीत में मुसलमान और यादव वर्ग के वोटर अहम किरदार निभाते हैं.

कब रहा था कांग्रेस पार्टी का दबदबा

जब पहली बार 1952 में लोकसभा का गठन हुआ था, उस समय एक सीट से दो सांसद चुने जाते थे. इसी क्रम में 1952 में कांग्रेस पार्टी से नयन तारा दास और बनारसी प्रसाद सिन्हा जमुई से सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1996 और 1967 में फिर कांग्रेस पार्टी का कब्जा हुआ और नयन तारा दास फिर सांसद बनीं. 1971 में इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भोला मांझी ने जीत हासिल की. इसके बाद 2009 से लगातार एनडीए का इस सीट पर दबदबा कायम है.

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