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शरद पूर्णिमा की रात ग्रहण रहेगा तो इस पर्व से जुड़ी परंपराएं कब निभाएं…

शनिवार, 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण है इस पूर्णिमा की रात चंद्र की रोशनी में खीर बनाने और खाने की परंपरा है इस बार रात में चंद्र ग्रहण रहेगा, इसका सूतक दोपहर से ही प्रारम्भ हो जाएगा, इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात खीर कब बनाई जाए, इसको लेकर कन्फ्यूजन है इस कन्फ्यजून को दूर करने के लिए हमने बद्रीनाथ, उज्जैन और वृंदावन के ज्योतिषियों और धर्म के जानकारों से बात की है

बद्रीनाथ और उज्जैन सहित राष्ट्र के कई शहरों में आज (शुक्रवार, 27 अक्टूबर) रात ही शरद पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा वहीं, वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में रविवार, 29 अक्टूबर की रात शरद पूर्णिमा की खीर बनाई जाएगी, लेकिन बांके बिहारी मंदिर में इस वर्ष शरदोत्सव नहीं होगा

timeanddate.com के अनुसार 28 अक्टूबर की रात 1.05 बजे से आंशिक चंद्र ग्रहण की आरंभ होगी रात 1.44 बजे ग्रहण का मध्य रहेगा और 2.24 बजे ग्रहण समाप्त हो जाएगा ग्रहण का समय करीब 1 घंटा 19 मिनट रहेगा 2023 के बाद अगला चंद्र ग्रहण 2024 में 17-18 सितंबर की रात होगा, जो हिंदुस्तान में दिखेगा

सवाल – कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण?

जवाब – 28 अक्टूबर की रात पूरे हिंदुस्तान में एक साथ चंद्र ग्रहण देखा जा सकेगा हिंदुस्तान के साथ ही पूरे एशिया में, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, पैसेफिक, हिन्द महासागर में दिखाई देगा

सवाल – शरद पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जाते हैं?

जवाब – शरद पूर्णिमा से जुड़ी कई परंपरा हैं, जैसे इस पर्व की रात श्रीकृष्ण की विशेष पूजा होती है, खीर बनाई जाती है, देवी लक्ष्मी का अभिषेक किया जाता है, विष्णु जी के ग्रंथ का पाठ और मंत्र किया जाता है, ईश्वर सत्यनारायण की कथा की जाती है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और तीर्थ दर्शन करने की भी परंपरा है

सवाल – शरद पूर्णिमा की रात ग्रहण रहेगा तो इस पर्व से जुड़ी परंपराएं कब निभाएं?

जवाब – उत्तराखंड के चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल कहते हैं, ‘’शरद पूर्णिमा पर ग्रहण होने से इसका सूतक दोपहर 4.05 से ही प्रारम्भ हो जाएगा शास्त्रों में सूतक के समय पूजा-पाठ करना, मंदिर में दर्शन करना, खाना बनाना और खाना इंकार किया गया है इस वजह शरद पूर्णिमा से जुड़े शुभ काम 28 की दोपहर के बाद करना संभव नहीं है इसलिए शरद पूर्णिमा से जुड़ी परंपराएं एक रात पहले यानी आश्विन शुक्ल चतुर्दशी (27 अक्टूबर) की रात निभा सकते हैं बद्रीनाथ धाम में भी शरद पूर्णिमा से जुड़ी पूजा-पाठ 27 तारीख को ही की जाएगी’’

उज्जैन के ज्योतिषी और पंचांगकर्ता पं आनंद शंकर व्यास कहते हैं, ‘’पूर्णिमा पर ग्रहण होने से रात में इस पर्व से जुड़ी पूजा-पाठ नहीं हो सकेंगे, न ही खीर नहीं बनाई जा सकेगी 27 अक्टूबर को चतुर्दशी तिथि पर चंद्रमा की पूर्णिमा से केवल एक कला कम रहेगी, इसलिए पूर्णिमा से एक रात पहले खीर बनानी चाहिए और ईश्वर को भोग लगाना चाहिए हमारे यहां उज्जैन के बड़ा गणपति मंदिर में भी 27 अक्टूबर की रात शरद पूर्णिमा के आयोजन होंगे’’

वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर, इस्कॉन के पीआर श्याम किशोर दास ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर ग्रहण होने से हमारे यहां एक दिन बाद यानी 29 अक्टूबर को इस पर्व से जुड़ी पूजा-पाठ की जाएगी

सवाल – शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा क्यों कहते हैं?

जवाब – उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं मनीष शर्मा के मुताबिक, इस पर्व से जुड़ी कई मान्यता हैं शरद पूर्णिमा को महारास की रात भी कहते हैं माना जाता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने इस रात में गोपियों के साथ महारास किया था ऐसा भी माना जाता है कि इस पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी घूमने आती हैं और भक्तों से पूछती हैं, को जागृति यानी कौन जाग रहा है इस मान्यता की वजह से से इस तिथि को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं

सवाल – शरद पूर्णिमा खीर क्यों बनाते हैं?

जवाब – शरद पूर्णिमा का जिक्र धर्म ग्रंथों के साथ ही आयुर्वेद में भी है इस रात में चंद्र की रोशनी खीर बनाने की परंपरा है रात में खीर बनाई जाती है, ईश्वर को भोग लगाया जाता है और फिर इस खीर का सेवन किया जाता है माना जाता है कि ऐसा करने से धर्म फायदा के साथ ही स्वास्थ्य फायदा भी मिलता है

उज्जैन के डाक्टर राम अरोरा (एमडी, आयुर्वेद) कहते हैं, ”शरद पूर्णिमा की रात चंद्र की किरणें औषधीय गुणों वाली होती हैं जब ये किरणें खीर पर पड़ती हैं तो खीर में भी औषधीय गुण आ जाते हैं ये खीर मौसमी रोंगों से लड़ने की ताकत देती है खीर में दूध, चावल, शकर, ड्रायफ्रूट्स डाले जाते हैं, ये सभी चीजें हमारी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं

सवाल – चंद्र ग्रहण के सूतक के समय क्या करें और क्या न करें?

जवाब – चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण प्रारम्भ होने से ठीक 9 घंटे पहले प्रारम्भ हो जाता है और ग्रहण समाप्त होने तक रहता है इस समय में पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्यापार प्रारंभ जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं इसी वजह से सूतक प्रारम्भ होते ही सभी मंदिर बंद कर दिए जाते हैं ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर की शुद्धि होती है, इसके बाद भक्तों के लिए मंदिर खोले जाते हैं सूतक काल में देवी देवताओं के मंत्रों का जप करना चाहिए दान-पुण्य कर सकते हैं

सवाल – चंद्र ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?

जवाब – चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं- पूर्ण, आंशिक और मांद्य पूर्ण चंद्र ग्रहण में चंद्र लाल दिखने लगता है आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्र का कुछ हिस्सा दिखना बंद हो जाता है इन दोनों ग्रहण की धार्मिक मान्यता होती है और सूतक भी रहता है मांद्य चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की मामूली सी छाया चंद्र पर पड़ती है, इसका धार्मिक महत्व नहीं होता है

सवाल – चंद्र ग्रहण कैसे होता है?

जवाब – जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्र, ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में आ जाते हैं और चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ने लगती है, तब चंद्र ग्रहण होता है इस संबंध में धार्मिक मान्यता ये है कि समय-समय पर राहु सूर्य और चंद्र को ग्रसता है, इस वजह से ग्रहण होते हैं

 

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