बिहार

बिहार में अब सरकार करेगी कुलपतियों की नियुक्ति

शिक्षा विभाग ने राज्य के सात विश्वविद्यालयों केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी दरभंगा, जय प्रकाश विवि छपरा, पटना विवि, बीआरए बिहार विवि मुजफ्फरपुर, एलएन मिथिला विवि दरभंगा, बीएनमंडल विवि मधेपुरा और आर्यभट्ट विवि पटना के कुलपति पद पर नियुक्ति लिए आवेदन मांगे हैं आवेदन करने की आखिरी तिथि 13 सितंबर तक तय की गयी है आवेदन ऑफ और ऑन लाइन दोनों प्रकार से मांगे गये हैं राज्य के विश्वविद्यालयों के इतिहास में संभवत: यह पहली बार है, जब राजभवन से परे केवल शिक्षा विभाग ने कुलपतियों की नियुक्ति के संदर्भ में स्वयं आवेदन मांगे हैं खास बात यह है कि राजभवन इनमें कुलपतियों की नियुक्ति के लिए पहले ही विज्ञापन जारी कर चुका है

इन विश्वविद्यालयों के कुलपति पद के लिए जारी हुआ विज्ञापन

शिक्षा विभाग ने इन विश्वविद्यालयों के कुलपति पद के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है जारी विज्ञापन के अनुसार आवेदक https;//state.bihar.gov.in/educationbihar पर ऑन लाइन और शिक्षा सचिव, विकास भवन स्थित सचिवालय पर ऑफ लाइन आवेदन कर सकते हैं प्रकाशित विज्ञप्ति में बोला गया है कि कुलपतियों की नियक्ति सर्च कमेटी के जरिये की जायेगी आवेदक की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए की जायेगी इस पद का आवेदक 67 साल से अधिक नहीं होना चाहिए जरूरी योग्यता में आवेदक को कम से कम दस वर्ष प्रोफेसर पद पर अध्यापन का अनुभव महत्वपूर्ण होना चाहिए इसके अतिरिक्त रिसर्च के क्षेत्र में सहयोग सहित अन्य अहर्ताएं मांगी गयी हैं

राजभवन पहले ही जारी कर चुका है विज्ञापन

इससे पहले राजभवन की तरफ से इन्हीं विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे जा चुके हैं दो से चार अगस्त तक अखबारों में पटना विवि, केएसडी संस्कृत विवि दरभंगा, जय प्रकाश विवि छपरा, बीआरए बिहार विवि मुजफ्फरपुर, एलएन मिथिला विवि दरभंगा, बीएनमंडल विवि मधेपुरा और आर्यभट्ट विवि के कुलपति पद के लिए विज्ञापन जारी किया था इन पदों को भरे जाने की आखिरी तिथि 24 से 27 अगस्त तक निर्धारित है

राजभवन और शिक्षा विभाग आमने सामने

उच्च शिक्षा से जुड़े जानकारों के अनुसार कुलपति पद पर नियुक्ति के मुद्दे में राजभवन और शिक्षा विभाग आमने-सामने होंगे पारंपरिक विश्वविद्यालयों में कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी गठित की जायेगी सर्च कमेटी के अतिरिक्त गवर्नमेंट के साथ कन्सलटेशन के बाद ही कुलपति और प्रति कुलपति के पद पर नियुक्ति की जाती रही है इससे पहले साल 2010 के तत्कालीन गवर्नर देवानंद कुंवर के गवर्नर के कार्यकाल में कुलपतियों की नियुक्ति के संदर्भ में राज्य गवर्नमेंट और राजभवन आमने-सामने आ गये थे जिसमें उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद तत्कालीन गवर्नर की तरफ से नियुक्त किये गये कुलपति हटा दिये गये थे दरअसल, देवानंद कुंवर के हटने के बाद राजभवन और शिक्षा विभाग के अफसरों की समझ से एक्ट के अनुसार कुलपति पद पर नियुक्ति की परंपरा प्रारम्भ हुई थी

मुजफ्फरपुर ट्रेजरी ने रोका बीआरए बिहार विवि के कुलपति के वेतन

इधर, शिक्षा विभाग के आदेश पर अमल करते हुए मुजफ्फरपुर कोषागार ने बीआरए बिहार विवि के सभी बिल को पास करने पर रोक लगा दी है ट्रेजरी के रोक लगा देने पर अब विवि का कोई भी विपत्र का भुगतान बैंक नहीं कर पायेगा इधर, शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यानाथ यादव ने गवर्नर के सचिव आरएल एन चोंग्थू को पत्र लिखकर बोला कि गवर्नमेंट को अधिकार है कि वह विभाग का आडिट करे शिक्षा विभाग ने बोला है कि राज्य गवर्नमेंट विश्वविद्यालयों को सालाना चार हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है वैसी स्थिति में तथाकथित स्वायत्तता की आड़ में विश्वविद्यालयों में तानाशाही की अनुमति नहीं दी जा सकती है इसलिए शिक्षा विभाग 17 अगस्त को अपने आदेश को वापस नहीं लेगा संबंधित यूनिवर्सिटी पर बिहार यूनिवर्सिटी अधिनियम के पूर्व प्रावधानों को लागू करना विभाग का दायित्व है

विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता पर कहा था हमला

इससे पहले राजभवन के प्रधान सचिव राबर्ट एल चौंग्थू ने पत्र लिख कर शिक्षा विभाग की यूनिवर्सिटी के संबंध में की गयी कार्रवाई को विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता पर धावा कहा था इसे शिक्षा विभाग ने सिरे से खरिज कर दिया है विभाग ने यह भी बोला कि उसे विश्वविद्यालयों से यह जानने का अधिकार है कि यह पैसा कहां और कैसे खर्च किया जा रहा है वर्तमान बीआरए यूनिवर्सिटी के संदर्भित मुकदमा के बारे में पत्र में कहा गया है कि बिहार राज्य यूनिवर्सिटी अधिनियम के अनुसार समय पर परीक्षा आयोजित करने और रिज़ल्ट घोषित करना जरूरी है यह यूनिवर्सिटी का मौलिक दायित्व है

अपनी प्राथमिक ज़िम्मेदारी का नहीं किया पालन

इसके अतिरिक्त संबंधित यूनिवर्सिटी ने सभी यूनिवर्सिटी विभागों और छात्रावास कॉलेजों का निरीक्षण करने के अपने प्राथमिक दायित्व निभाने में भी चूक की है इतना ही नहीं विश्वविद्यालयों ने अपने विभागों, कॉलेजों एवं छात्रावासों के निरीक्षण में अपनी प्राथमिक ज़िम्मेदारी का पालन नहीं किया है शिक्षा विभाग के पत्र में राजभवन के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में बोला है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि राज्य गवर्नमेंट सिर्फ़ करदाताओं सहित विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के प्रति उत्तरदायी और जवाबदेह है इसलिए, जब कोई यूनिवर्सिटी प्राथमिक उद्देश्य में विफल रहता है, तो राज्य गवर्नमेंट का दायित्व है कि वह मुद्दे में हस्तक्षेप करे और रिपोर्ट मांगे

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