लालू को चारा घोटाले में 4 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का मिला आदेश

लालू को चारा घोटाले में  4 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का मिला आदेश

17 मार्च को दिल्ली की राउंज एवेन्यू न्यायालय ने लैंड फॉर जॉब्स स्कैम में लालू-राबड़ी और बेटी मीसा को जमानत दी थी. राबड़ी और मीसा लालू को व्हीलचेयर पर लेकर न्यायालय पहुंचे थे.

चारा घोटाला मुद्दे में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं. इस मुद्दे में सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में लालू यादव की जमानत याचिका रद्द करने की मांग की है.

सोमवार को इस मुद्दे में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई. न्यायालय ने लालू यादव को उत्तर दाखिल करने का आदेश दिया है. मुद्दे की अगली सुनवाई अब चार हफ्ते बाद होगी.

सीआरपीसी की धारा 427 को आधार बनाते हुए सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में लालू की जमानत रद्द करने की मांग की है. सीबीआई ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी है, जिसमें लालू यादव को जमानत पर रिहाई मिली है.

लालू को झारखंड उच्च न्यायालय ने दुमका और चाईबासा कोषागार मुद्दे में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. सीबीआई ने इसी का विरोध किया है.

CBI की दलील- न्यायालय ने सभी सजा एक साथ चलाने का नहीं दिया आदेश

CBI के अनुसार लालू प्रसाद को 5 मुद्दे में भिन्न-भिन्न सजा हुई है, लेकिन सीबीआई न्यायालय ने सभी सजा एक साथ चलाने का आदेश नहीं दिया है. इस कारण सभी सजा एक साथ नहीं चल सकती है.

धारा 427 में प्रावधान के मुताबिक किसी आदमी को एक से अधिक मामलों में दोषी करार देकर सजा सुनाई जाती है और न्यायालय सभी सजा एक साथ चलाने का आदेश नहीं देती है, तो उस आदमी की एक सजा की अवधि खत्म होने के बाद ही उसकी दूसरी सजा प्रारम्भ होगी.

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आधी सजा पूरी होने की दलील पर लालू प्रसाद को मिली है जमानत

घोटाले के 5 मामलों में लालू प्रसाद को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है. किसी भी आदेश में सभी सजा एक साथ चलाने का उल्लेख नहीं किया गया है. इस कारण लालू प्रसाद पर यह धारा लागू होती है. जब तक एक सजा की पूरी अवधि वे हिरासत में व्यतीत नहीं कर लेते, दूसरी सजा लागू नहीं हो सकती. इस आधार पर लालू प्रसाद की यह दलील की उन्होंने आधी सजा काट ली है, ठीक नहीं है और उन्हें दी गई जमानत रद्द कर देनी चाहिए.

ये है CBI का तर्क

सीबीआई सूत्रों के अनुसार लालू प्रसाद की ओर से अभी तक न्यायालय से सभी सजा एक साथ चलाने के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया है. ऐसे में सीआरपीसी की धारा 427 के अनुसार उन्हें जमानत का फायदा नहीं दिया जा सकता है.

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लालू को चारा घोटाले के किस मुद्दे में कितनी सजा

  • लालू को पहली सजा चाईबासा ट्रेजरी से फर्जी ढंग से 37.7 करोड़ रुपए निकाले जाने के मुद्दे में हुई. इस मुद्दे में पूर्व सीएम लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा तथा राजनेता जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत इस मुद्दे के आरोपियों में शामिल थे.
  • 2012 में सीबीआई ने इस मुद्दे में आरोप तय किए. इसके बाद सीबीआई की स्पेशल न्यायालय ने 2013 में लालू समेत 45 आरोपियों को दोषी करार देते हुए 5 वर्ष कारागार की सजा सुनाई थी.
  • 23 दिसंबर 2017 को सीबीआई न्यायालय ने लालू को दूसरे मुद्दे में दोषी ठहराया. यह मामला देवघर ट्रेजरी से 80 लाख रुपये से अधिक की गैर कानूनी निकासी का था. इस मुद्दे में उन्हें साढ़े तीन वर्ष कैद की सजा सुनाई गई, जबकि जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया.
  • 24 जनवरी 2018 को लालू को तीसरे मुद्दे में सजा हुई. यह मामला चाईबासा ट्रेजरी से 33.67 करोड़ रुपए फर्जी ढंग से निकालने का था. इस मुद्दे में लालू को 5 वर्ष कारागार की सजा सुनाई गई.
  • चौथा मुकदमा दुमका ट्रेजरी से फर्जी ढंग से 3.13 करोड़ रुपए निकालने का था. मार्च 2018 में इस मुद्दे में लालू यादव को 7 वर्ष कारागार की सजा सुनाई गई.
  • 15 फरवरी 2022 को सीबीआई न्यायालय ने चारा घोटाले के पांचवें मुकदमा में लालू यादव को दोषी करार दिया है. यह डोरंडा ट्रेजरी से जुड़ा है. डोरंडा ट्रेजरी से गैर कानूनी ढंग से 139.35 करोड़ रुपए निकालने का आरोप है. न्यायालय 21 फरवरी को इस मुद्दे में सजा सुनाएगी.