बिहार

लंबी सुनवाई के बाद केके पाठक और विश्वविद्यालय का विवाद पटना हाईकोर्ट में सुलझा

बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा सभी विश्वविद्यालयों के बैंक एकाउंट को फ्रीज कर दिये जाने संबंधी आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर हाइकोर्ट में शुक्रवार को एक साथ सुनवाई हुई ये याचिकाएं राज्य गवर्नमेंट के नौ विश्वविद्यालयों की ओर से दाखिल की गयी थीं इन सभी याचिकाओं पर जस्टिस अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने सुनवाई की लंबी सुनवाई के बाद सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से बात बनी

विश्वविद्यालयों के वीसी ने शिक्षा विभाग के साथ बैठक करने में अपनी सहमति दे दी उनका बोलना था कि बैठक सौहार्द्रपूर्ण माहौल में होनी चाहिए किसी के साथ बदसलूकी नहीं होनी चाहिए इस बात पर शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने न्यायालय को कहा कि पूरी बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की जायेगी कोई भी अधिकारी किसी के साथ बदसलूकी नहीं करेंगे, लेकिन विश्वविद्यालयों के वीसी और अन्य अधिकारी भी इसमें पूरा योगदान करेंगे

विश्वविद्यालयों की ओर से अधिवक्ता विंध्याचल राय सहित सिद्धार्थ प्रसाद, राणा विक्रम सिंह, रितेश कुमार, अशहर मुस्तफा और राजेश चौधरी ने बहस की वहीं, राज्य गवर्नमेंट की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने अपना पक्ष रखा जबकि चांसलर की ओर से वरीय अधिवक्ता डॉ केएन सिंह और राजीव रंजन कुमार पांडेय ने न्यायालय से बोला कि प्रदेश के विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए सभी को आपसी मतभेद मिटा कर बैठक में भाग लेना चाहिए उनके ही सुझाव के बाद न्यायालय ने बैठक में भाग लेने की बात कही जिस पर सभी पक्षों ने अपनी सहमति जतायी और न्यायालय ने गवर्नमेंट के खर्च पर बैठक की तारीख, समय और जगह तय किया न्यायालय ने मुद्दे पर अगली सुनवाई की तारीख 17 मई तय की

कोर्ट ने क्या दिया फैसला

कोर्ट ने शिक्षा विभाग के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी केके पाठक द्वारा राज्य के यूनिवर्सिटी के बैंक खातों को फ्रीज किये जाने संबंधी आदेश पर तुरन्त असर से रोक लगा दिया है न्यायालय ने केके पाठक को सोमवार 6 मई को सभी यूनिवर्सिटी के वीसी और अन्य संबंधित ऑफिसरों के साथ पटना के मौर्या होटल में सुबह 11:00 से बैठक बुलाने का निर्देश दिया है लेकिन साथ ही यह भी बोला है कि बैठक में कोई अध्यक्ष नहीं होगा न्यायालय ने आशा जतायी है कि यह बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होगी

विश्वविद्यालयों ने न्यायालय में क्या कहा

  • शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालयों की परीक्षा संचालन पर चर्चा के लिए बैठक बुलायी गयी बैठक में भाग नहीं लेने पर विभाग ने विवि के सभी खातों के संचालन पर रोक लगा दिया
  • विश्वविद्यालय कानून के अनुसार शिक्षा विभाग वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकता
  • अधिवक्ता विंध्याचल राय ने बोला कि वरीयताक्रम में चांसलर सबसे ऊपर होते हैं, उसके बाद वीसी, फिर प्रोवीसी उसके बाद विभाग के सचिव का नंबर आता हैं ऐसे में विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को नहीं बुला सकते साल 2009 के चांसलर के एक आदेश के मुताबिक यूनिवर्सिटी के अधिकारी चांसलर के अनुमति से ही मुख्यालय छोड़ सकते हैं
  • बैठक में वीसी के साथ बदसलूकी की जाती है, जिसके कारण सभी वीसी ने बैठक में जाने से इंकार कर दिया हाल के दिनों में एक बैठक क्षेत्रीय होटल में बुलायी गयी थी इस बैठक में वीसी आये लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से कोई नहीं आया
  • आरडीडीइ वीसी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा रहे हैं शिक्षा विभाग एक माह में तीन-तीन सत्र का परीक्षा लेने का दवाब बना रहा है
  • वीसी की नियुक्ति में राज्य गवर्नमेंट की कोई किरदार नहीं है, फिर भी बेवजह दवाब बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है विभाग को यूनिवर्सिटी के खाता के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार भी नहीं है

राज्य गवर्नमेंट की ओर से दी गयी दलील

  • महाधिवक्ता पीके शाही ने न्यायालय को कहा कि जितना पैसा विश्वविद्यालयो को दिया जा रहा हैं, उन पैसों को विद्यार्थियों को दे दिया जाये तो वे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर लेंगे
  • राज्य गवर्नमेंट लगभग 5 हजार करोड़ रुपये विवि को देती है, फिर भी शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों के तुलना में काफी खराब है जिसके कारण विद्यार्थियों का पलायन जारी है विभाग ने थोड़ी कड़ाई की तो सभी विवि बिचलित हो गये विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हैं
  • कोई भी यूनिवर्सिटी समय पर परीक्षा नहीं ले रहा है परीक्षा समय पर लेने के लिए बैठक बुलायी गयी, तो वीसी नहीं पहुंचे
  • विवि आखिर किस कानून के अनुसार पीएल खाता में पैसा रखते हैं

केके पाठक के रवैये को लेकर हुई बहस

इससे पहले, इस मुद्दे पर 1 मई को हुई आंशिक सुनवाई में न्यायालय ने राज्य गवर्नमेंट और कुलाधिपति सह गवर्नर की ओर से न्यायालय में मौजूद अधिवक्ताओं को सुनने के बाद मौखिक रूप से यह बोला था कि मुनासिब यही होगा कि दोनो पक्ष मिल बैठकर इस मुद्दे का निदान कर ले

कुलाधिपति की ओर से मौजूद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल वरीय अधिवक्ता चिकित्सक केएन सिंह का बोलना था की शिक्षा विभाग के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी के के पाठक के व्यवहार और रवैया में जब तक सुधार नहीं होगा, तब तक इस मुद्दे का हल नहीं निकल पायेगा पाठक किसी भी पदाधिकारी और कर्मचारियों से गलत ढंग से पेश आते हैं और उन्हें अपमानित करते हैं

जबकि राज्य गवर्नमेंट की ओर से शिक्षा विभाग का पक्ष रख रहे राज्य के महाधिवक्ता पीके शाही ने न्यायालय को कहा था की वह अपने स्तर से कोशिश करेंगे कि केके पाठक अपने व्यवहार में परिवर्तन करें और यूनिवर्सिटी के किसी भी पदाधिकारी या कर्मचारी के साथ बदसलूकी से पेश नहीं आयें

 

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