बिहार

बंपर उत्पादन चाहिए तो करें इस नस्ल के केले की खेती

वैसे तो बिहार के तकरीबन हर जिले में बड़े पैमाने पर केला की खेती होती है, लेकिन हाजीपुर का केला देशभर में फेमस है अब तो बिहार गवर्नमेंट भी टिश्यू कल्चर से केला की खेती को बढ़ावा दे रही है इसके लिए अच्छा आर्थिक सहायता भी दे रही है इन सबके बीच मुजफ्फरपुर के एक किसान केला की खेती को लेकर क्षेत्र में चर्चा के केंद्र में है दरअसल मुजफ्फरपुर के बोचहां के रहने वाले किसान राजू चौधरी इजरायली नस्ल के केले की खेती कर रहे हैं इसकी तकनीक जानने के लिए प्रत्येक दिन कोई न कोई किसान उनके पास पहुंच रहे हैं

एक पौधे से की शुरुआत
मुजफ्फरपुर के बोचहां के रहने वाले राजू चौधरी पहले पारंपरिक ढंग से देसी नस्ल के केले की खेती करते थे कुछ समय पहले उन्हें इजरायली नस्ल के केले के बारे में जानकारी मिली इसके एक पौधे में एक से अधिक घवद केला निकलता है इससे प्रभावित होकर उन्होंने पहले इजराइल से केला का एक पौधा मंगवाया और खेती का तौर-तरीका जाना इसके बाद उन्होंने बीज मंगवाया और एक एकड़ में खेती प्रारम्भ कर दी राजू बताते हैं कि पारंपरिक ढंग से केला की खेती में मेहनत अधिक लगता है, जबकि इजरायली नस्ल के केला की खेती में मेहनत कम और फायदा अधिक होता है

एक घवद में 30 दर्जन तक रहता है केला
राजू चौधरी ने मीडिया को कहा कि एक कट्टा जमीन में इजरायली नस्ल का 60 पौधा लगाया जाता है उन्होंने एक एकड़ में केला के पौधे लगाए हैं इसके घवद की लंबाई भी अधिक होती है एक हत्था में 14 पीस केला रहता है, जबकि घवद में करीब 30 दर्जन केला रहता है इस कारण केला का एक घवद 600 से 800 रुपए तक में बिकता है उन्होंने कहा कि वे थोक में 18 रुपए केजी के हिसाब से केला बेचते हैं वे मानते हैं कि इजराइली तकनीक से खेती करने से पैदावार बढ़ी है इस कारण कमाई भी बढ़ रही है

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