बिहार

दरभंगा के उचौली गांव में बड़े पैमाने पर किस करते हैं सब्जी की खेती, उत्पादन के अनुरूप नहीं मिल पाता है खरीदार 

रिपोर्ट – अभिनव कुमार
दरभंगा: बिहार के दरभंगा में एक ऐसा गांव है, जहां बड़े पैमाने पर पशु और ढोर डंगर सलाद खाते हैं सलाद में टमाटर-प्याज-खीरा सब रहता है ये उनकी स्वास्थ्य का राज या आवश्यकता नहीं बल्कि विवशता है विवशता भी ऐसी जिसे सुनकर कोई भी परेशान हो उठे

अब हम आपको बताते हैं पशुओं के सलाद खाने की वजह दरभंगा के उचौली गांव में लोग बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करते हैं ये किसान इतने एडवांस हैं कि इन्होंने पारंपरिक फसलों की खेती छोड़कर नगदी फसलों की खेती पर फोकस कर दिया है यहां तक तो सब ठीक है परेशानी इसके बाद प्रारम्भ होती है सब्जियां बड़े पैमाने पर हो रही है लेकिन उसके मुताबिक खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं

मवेशियों को सलाद
गांव के राम सीजन राय बताते हैं यहां खीरा की खेती बहुत पहले से हो रही है खीरा की खेती की आरंभ पिताजी ने की थी अब हमलोग आगे बढ़ा रहे हैं गांव के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर सब्जी की खेती में जुट गए हैं उन्होंने कहा कि जब फसल का उत्पादन अधिक होने लगता है तो सब्जियों की मूल्य घट जाती है यहां टमाटर, खीरा, मूली, फूलगोभी, बंदगोभी, भिंडी जैसी हरी सब्जियों की पैदावार होती है लेकिन उस अनुपात में खरीददार नहीं मिल पाते यहां के लिए मार्केटिंग की प्रबंध नहीं है ऐसे में किसान क्या करें उन्होंने सब्जियां फेंकने के बजाए ये तरीका किया कि वो पशुओं को सलाद खिलाने लगे

नौकरी कीजिए तो सरकारी नहीं तो बेचिए तरकारी
सब्जियों की खेती में कम लागत में अधिक फायदा हो जाता है जबकि गेहूं और मकई में आमदनी कम है राम सीजन राय बताते हैं ग्रामीण इलाकों में एक कहावत प्रचलित है जॉब कीजिए तो सरकारी नहीं तो बेचिए तरकारी ऊचौली गांव में जिनकी जॉब लग जाती है तो ठीक है, नहीं तो सब्जी उत्पादन कर बिक्री प्रारम्भ कर देते हैं आगत सब्जी की खेती करने से अधिक फायदा होता है आरंभ में खीरा, टमाटर, मूली, परवल, भिंडी, कद्दू, करेला, नेनुआ जैसी सब्जियां 60 से 100 रुपए तक किलो तक में बिकती हैं बाद में खरीददार नहीं मिल पाते इसलिए जो सब्जियां बच जाती हैं उसे मवेशियों को खिलाना पड़ जाता है

Tags: Darbhanga news, Farming in India, Local18

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