गेहूं के इस खास किस्म से किसान ने की तगड़ी कमाई
बिहार में आमतौर पर किसान रवि सीजन में गेहूं की रोपनी करना पसंद करते हैं। ऐसे में 343, 2967, 303 ,187 ,503 इन प्रजातियों के गेहूं ही किसान अपने खेतों में उगाना पसंद करते हैं। इसकी वजह बीज की सरलता से उपलब्धता , खाद का प्रयोग करने पर अधिक उत्पादन और बिक्री का टेंसन कम होता है। बिहार गवर्नमेंट भी गेहूं की खरीद पर बल देते रहती है।
जलवायु बदलाव का असर गेहूं की खेती पर पड़ा है। इससे किसानों के कड़ी मेहनत के बाजबूद भी उत्पादन में कमी देखी जा रही है। जिससे किसानों को उनकी मेहनत का ठीक फायदा नहीं मिल पाता है। लेकिन क्या आपने सोचा है गेहूं की पारंपरिक किस्मों की बुवाई करना किसानों के लिए लाभ वाला साबित हो सकता है। बिहार के बेगूसराय के किसान अनीश कुमार ने औषधीय गुणों से भरपूर खपली गेहूं का उत्पादन कर लाखों में आमदनी प्राप्त कर दिखाया है।
बेगूसराय में खपली प्रजाति के गेंहू की खेती शुरु
बेगूसराय जिले के छोहाड़ी के किसान अनीश कुमार ने मीडिया से कहा कि मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के मालवीय किसान परिवार से गेहूं का बीज लाकर बेगूसराय के छोराही में एक एकड़ में लगाया | गेहूं की खेती के लिए जोताई के बाद कोई खर्चा नहीं लगा | पूरी तरह से प्राकृतिक रुप से खेती की गई। गेहूं को तैयार होने तक में दो बार पटवन करना पड़ा। सामान्य गेहूं की वैरायटी से कुछ दिन अधिक तैयार होने में लगते हैं। यह 120 दिनों में गेंहू तैयार हो गया। किसान अनीश के मुताबिक़ इस गेहूं की इस प्रजाति की बाहरी परत हल्के भूरे रंग की होती है और बहुत कठोर होती है जो अनाज को लंबे समय तक जीवित रहने में सक्षम बनाती है। दस हजार वर्ष पहले मध्य पूर्व काल के इस गेहूं के इस बीज को एमपी के किसानों ने ही सुरक्षित रखा था।
एक एकड़ में डेढ़ लाख तक का मुनाफा
किसान अनीश ने कहा उत्पादन कम और आमदनी अधिक इस गेंहू की खेती को लेकर बोला जा सकता है। एक एकड़ में सामान्य गेहूं की खेती कर किसान 22 क्विंटल तक उत्पादन कर लेते हैं। जबकि खपली गेहूं का उत्पादन 15 क्विंटल तक होती है | वही जब बाजार डिमांड की बात होती है तो किसान अनीश ने कहा जो कृषि विभाग के ही अधिकारी गेहूं देखने आए सभी ने खरीद लिया। मैंने एक एकड़ में यह गेहूं लगाया था और डेढ़ लाख का उत्पादन प्राप्त किया।