कुरान के खिलाफ हुआ तो UCC को नहीं मानेंगे मुसलमान, सपा सांसद हसन ने चेताया
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UCC यानी समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पेश हो चुका है। इसी बीच बिल के विरोध में सपा सांसद एसटी हसन आ गए हैं। उन्होंने इसे कुरान के सिद्धांतों के विरुद्ध कहा है। साथ ही बोला कि यदि यह ‘हिदायतों’ के विरुद्ध होता है, तो मुसलमान समुदाय इसका पालन नहीं करेगा। इधर, कांग्रेस पार्टी का बोलना है कि हम UCC नहीं, बल्कि इसे पेश किए जाने के ढंग के विरुद्ध हैं। बीजेपी ने वर्ष 2022 में यूसीसी का वादा किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हसन का बोलना है, ‘अगर यह (UCC विधेयक) कुरान में मुसलमानों को दी गई हिदायतों के विरुद्ध है, तो हम इसका पालन नहीं करेंगे। यदि यह हिदायत के आधार पर है, तो हमें इससे कोई कठिनाई नहीं है।’ कानून बनने के बाद यह विधेयक शादी, तलाक और जायदाद से जुड़े धार्मिक पर्सनल लॉ की स्थान लेगा।
कांग्रेस नेता यशपाल आर्य का बोलना है, ‘हम इसके विरुद्ध नहीं है। सदन नियमों से चलता है, लेकिन बीजेपी लगातार इसे नजरअंदाज कर रही है और संख्याबल के आधार पर विधायकों की आवाज को दबाना चाहती है। प्रश्न काल के दौरान सदन में अपनी बात रखना विधायकों का अधिकार है। उनके पास नियम 58 या किसी अन्य नियम के अनुसार प्रस्ताव हो, उनके पास विधानसभा में राज्य के भिन्न-भिन्न मुद्दों को उठाने का अधिकार है।’
उत्तराखंड विधानसभा में पेश
पीटीआई भाषा के अनुसार, यूसीसी विधेयक के लिए बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया। सीएम पुष्कर सिंह धामी की तरफ से विधेयक पेश किए जाने के इस दौरान सत्तापक्ष के विधायकों ने ‘भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय श्रीराम’ के नारे भी लगाए। प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की स्वीकृति दी थी।
चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को सीएम को सौंपा था। कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला राष्ट्र का पहला राज्य होगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है। यूसीसी के अनुसार प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।