चिराग : मेरा नीतीश कुमार से कोई व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है, लेकिन…
नीतीश कुमार की NDA में वापसी के बाद भाजपा सहयोगी दलों को साधने में जुटी है। शनिवार को दिल्ली में अमित शाह और जेपी नड्डा ने चिराग पासवान से मुलाकात की। इस दौरान चिराग ने नीतीश को लेकर अपनी राय रखी।
एलजेपी (रामविलास) के सूत्रों के मुताबिक, एलजेपी (रामविलास) चाहती है कि बिहार में NDA एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बने और उसी के आधार पर गवर्नमेंट चले। चिराग केवल नीतीश कुमार के सात निश्चय के आधार पर गवर्नमेंट चलाये जाने के पक्ष में नहीं हैं।
चिराग ने हमेशा सात निश्चय में करप्शन के इल्जाम लगाए हैं और उनका मानना है कि ये सिर्फ़ जेडीयू और महागठबंधन का एजेंडा है। चिराग की मांग है कि उनके ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ एजेंडे को भी NDA गवर्नमेंट के एजेंडे में शामिल किया जाए।
चिराग ने बैठक में साफ किया कि उनका नीतीश कुमार से कोई पर्सनल झगड़ा नहीं है, लेकिन वो नीतियों से समझौता नहीं करेंगे। यदि नीतीश कुमार जिद पर नहीं अड़े तो एक प्लेटफार्म पर आने में उन्हें परेशानी नहीं है।इतना ही नहीं, चिराग ये भी चाहते हैं कि जेडीयू के आने के बाद भी उनके कोटे की सीटों की संख्या कम न हो।
पार्टी के सूत्रों का बोलना है कि भाजपा जिसको लाना है लाए, लेकिन एलजेपी (रामविलास) सीटों से समझौता नहीं करेगी। यदि सीटों पर बात नहीं बनी तो पार्टी फिर 2020 विधानसभा चुनाव की तरह बीजेपी के साथ और JDU के विरुद्ध चुनाव लड़ेगी।
यानी 17 जेडीयू कोटे की सीट और 6 एलजेपी (रामविलास) की सीट यानी 23 सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेगी। हालांकि पार्टी सूत्रों ने आरजेडी के साथ जाने की किसी तरह की आसार को नकारते हुए बोला कि वो पीएम मोदी को किसी मूल्य पर नहीं छोड़ेंगे।
चिराग का मानना है कि वो बहुत विश्वासघात खा चुके हैं, अब और नहीं खायेंगे। वैसे भाजपा बड़ी पार्टी है, इसलिए वो सीटों को एडजस्ट कर सकती है, लेकिन यदि वो एलजेपी (रामविलास) की सीटों से कॉम्प्रोमाइज करेगी तो हमारे पास कोई स्पेस नहीं है। इसलिए यदि नीतीश कुमार आ रहे हैं, तो भाजपा कॉम्प्रोमाइज करे न कि चिराग पासवान।
उधर केंद्रीय मंत्री नित्यानन्द राय और फिर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी अपने सहयोगी दल हम के नेता जीतन राम मांझी को भी समझाने-मनाने पहुंचे। हालांकि मांझी ने साफ किया है कि वो पीएम मोदी के साथ ही रहेंगे। लेकिन उनकी पार्टी ने शनिवार को विधायक दल की मीटिंग के बाद नयी गवर्नमेंट में दो मंत्री पद की मांग कर अपनी अहमियत याद दिलाई है और बीजेपी पर दबाव बनाने की प्रयास की है।
जीतन राम मांझी के घर के बाहर पोस्टर लगा दिए गए हैं कि ‘बिहार में बहार है, बिन मांझी सब बेकार है’। हम पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुन्दर शरण ने नयी गवर्नमेंट में पार्टी के लिए कम से कम 2 मंत्री पद की मांग की।
उनका बोलना है कि ‘हम पार्टी गरीब गुरबों की बात करती है। ऐसे में ‘हम’ को बेहतर सेवा देने के लिए कम से कम पार्टी की तरफ से 2 मंत्री पद जरूर मिलने चाहिए। यह हमारी शर्त नहीं कार्यकर्ताओं और समर्थकों की माँग है। वैसे हम बगैर किसी पद के भी माननीय पीएम जी के साथ मुस्तैदी से खड़े हैं।’ सूत्रों के अनुसार जीतन राम मांझी लोकसभा की 6 सीटों पर दावा ठोंकने की सोच रहे हैं।
वहीं, राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े करते हुए गेंद भाजपा के पाले में डाल दी। उपेंद्र कुशवाहा ने बोला कि सहयोगी दलों के मन में नीतीश कुमार को लेकर जो संशय है, उसको दूर करने की जिम्मेदारी भाजपा की है।
आरएलजेपी सूत्रों के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा नयी गवर्नमेंट में अपने लिए मंत्री पद और लोकसभा चुनाव में कम से कम 3 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। कुशवाहा की इस मांग पर पेंच फंस सकता है, लेकिन पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि कुशवाहा को मनाना भाजपा के लिए बहुत कठिन नहीं होगा।
हालांकि, चुनौती राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस भी पेश कर करेंगे, जिनके कोटे से अभी 5 सांसद हैं और पार्टी कम से कम इतनी सीटों पर तो दावा पेश करेगी। नयी गवर्नमेंट में सभी सहयोगी दलों को उनकी शर्तों के आधार पर सीट बंटवारा एनडीए के लिए अभी टेढ़ी खीर नजर आ रहा है।